
दर्पण त्राटक || शून्य में झांकने की विधि ।
प्रयोग एक घंटे का है। पहला चरण
चालीस मिनट का और दूसरा बीस
मिनट का।
त्राटक का पहला चरण ।
कमरे को चारों ओर से बंद कर लें, और एक 10 X 12 इंच का दर्पण अपने सामने रखें। कमरे में बिलकुल अंधेरा होना चाहिए। अब दीपक या मोमबत्ती जलाकर दर्पण के दोनों तरफ इस प्रकार रखें कि उसकी रोशनी सीधी दर्पण पर न पड़े। सिर्फ आपका चेहरा ही दर्पण में प्रतिबिंबित हो, न कि दीपक की लौ। अब दर्पण में अपनी दोनों आंखों में बिना पलक झपकाए देखते रहें—लगातार चालीस मिनट तक। अगर आंसू निकलते हो तो उन्हें निकलने दें, लेकिन पूरी कोशिश करें कि पलक गिरने न पाए। आंखों की पुतलियों को भी इधर-उधर न घूमने दें—ठीक दोनों आंखों में झांकते रहें।
दो-तीन दिन के भीतर ही विचित्र घटना घटेगी-आपके चेहरे दर्पण में बदलने प्रारंभ हो जाएंगे। आप घबरा भी सकते हैं। लेकिन आप बिल्कुल भी घबराए नहीं । कभी-कभी बिलकुल दूसरा चेहरा आपको दिखाई देगा, जिसे आपने कभी नहीं जाना है कि वह आपका है। पर ये सारे चेहरे आपके ही हैं। अब आपके अचेतन मन का विस्फोट प्रारंभ हो गया है। कभी-कभी आपके विगत जन्म के चेहरे भी उसमें आएंगे। करीब एक सप्ताह के बाद यह शक्ल बदलने का क्रम बहुत तीव्र हो जाएगा ।
बहुत सारे चेहरे आने-जाने लगेंगे, जैसा कि फिल्मों में होता है। तीन सप्ताह के बाद आप पहचान न पाएंगे कि कौन सा चेहरा आपका
है। आप पहचानने में समर्थ न हो पाएंगे, क्योंकि इतने चेहरों को आपने आते-जाते देखा है। अगर आपने इसे जारी रखा, चार - पांच सप्ताह के बाद, किसी भी दिन, सबसे विचित्र घटना घटेगी—अचानक आप पाएंगे कि दर्पण में कोई चेहरा नहीं हैं - दर्पण बिलकुल खाली है और आप शून्य में झांक रहे हैं। यही महत्वपूर्ण क्षण है। तभी आंखें बंद कर लें और अपने अचेतन का साक्षात करें। जब दर्पण में कोई प्रतिबिंब न हो, तो सिर्फ आंखें बंद कर लें, भीतर देखें—और आप अचेतन का साक्षात करेंगे।
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